भारतीय दंड विधान, 1860 स्टीफेन के अनुसार, “अपराध एक ऐसा कृत्य है जो विधि द्वारा निषिद्ध तथा समाज के नैतिक मनोभावों के प्रतिकूल, दोनों ही होता है।” अपराध के निम्नलिखित चार आवश्यक तत्त्व हैं मानव, आपराधिक मनःस्थिति या दुराशय (Mensrea), आपराधिक कृत्य, तथा ऐसे आपराधिक कृत्य से मानव तथा समाज को क्षति। भारतीय दंड संहिता […]