“सरूरपुर कला: एक गांव जहां हर घर से निकलते हैं पुलिस और सेना के भविष्य के हीरो”

उत्तर प्रदेश के बागपत जिले का एक छोटा सा गांव, सरूरपुर कला, आज चर्चा का केंद्र बना हुआ है। यह गांव न सिर्फ अपनी मेहनत और लगन के लिए जाना जाता है, बल्कि यहां के युवाओं ने हाल ही में यूपी पुलिस भर्ती में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। इस बार गांव के 36 युवाओं ने पुलिस भर्ती में सफलता हासिल की है, जिनमें 12 लड़कियां और 24 लड़के शामिल हैं। यह सफलता न सिर्फ गांव के लिए गर्व की बात है, बल्कि यह उनकी मेहनत और संघर्ष की मिसाल भी है।

गांव का गौरवशाली इतिहास

सरूरपुर कला गांव की पहचान लंबे समय से रही है। यहां के युवा या तो पुलिस भर्ती में सफल होते हैं या फिर सेना में जाने का रुख करते हैं। 2010 में इस गांव ने एक रिकॉर्ड बनाया था, जब 79 युवाओं ने पुलिस भर्ती में सफलता हासिल की थी। यह उस समय पूरे बागपत जिले के लिए एक कीर्तिमान था। इस बार भी 36 युवाओं का चयन होना गांव के लिए एक नया गौरवशाली अध्याय है।

संघर्ष और सफलता की कहानी

गांव के युवाओं ने बताया कि उन्होंने बिना किसी कोचिंग सेंटर या स्टेडियम की सुविधा के, घर पर रहकर ऑनलाइन कोचिंग और सेल्फ स्टडी के जरिए तैयारी की। गांव में न तो कोई रनिंग ट्रैक है और न ही कोई स्टेडियम, लेकिन फिर भी युवाओं ने खेतों और सड़कों पर दौड़कर अपनी तैयारी पूरी की। उन्होंने बताया कि उनके परिवार ने उन्हें पूरा सपोर्ट किया, जिससे वे इस मुकाम तक पहुंच पाए।

आर्यन नैन, जिन्होंने इस बार पुलिस भर्ती में सफलता हासिल की है, ने बताया कि उन्होंने घर पर ही पढ़ाई की और ऑनलाइन कोचिंग ली। उनका कहना है कि गांव में कोई कोचिंग सेंटर नहीं है, लेकिन परिवार के सपोर्ट ने उन्हें आगे बढ़ने की ताकत दी। इसी तरह, अभिषेक नैन ने बताया कि उन्होंने भी घर पर ही तैयारी की और अपने बड़े भाई से मदद ली।

सरकार से मांग: बेहतर सुविधाएं

युवाओं ने सरकार और प्रशासन से गांव में बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने की मांग की है। उनका कहना है कि अगर गांव में एक अच्छा ग्राउंड, लाइब्रेरी और कोचिंग सेंटर हो, तो और भी युवा भर्ती परीक्षाओं में सफल हो सकेंगे। प्रदीप कुमार ने कहा कि गांव में गरीब परिवारों के बच्चे हैं, जो दूर जाकर कोचिंग नहीं ले सकते। ऐसे में, अगर गांव में ही सुविधाएं हों, तो उन्हें तैयारी करने में आसानी होगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद

युवाओं ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद दिया है कि उन्होंने इस भर्ती को पूरी तरह से निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से आयोजित किया। उनका मानना है कि इससे गरीब और मेहनती युवाओं को सफल होने का मौका मिला है। शुभम कुमार ने कहा कि उनके पिता मजदूरी करते हैं और उन्होंने उन्हें पढ़ाने के लिए बहुत संघर्ष किया। अब जब उनका चयन हो गया है, तो वे अपने परिवार की सेवा करना चाहते हैं।

निष्कर्ष

सरूरपुर कला गांव की यह कहानी न सिर्फ मेहनत और संघर्ष की मिसाल है, बल्कि यह यह भी दिखाती है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है। यह गांव उन युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो बिना किसी बड़ी सुविधा के अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं। सरकार और प्रशासन से उम्मीद है कि वे इस गांव की जरूरतों को समझेंगे और यहां के युवाओं के लिए बेहतर सुविधाएं मुहैया कराएंगे।

सरूरपुर कला गांव के युवाओं की यह सफलता न सिर्फ उनके लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है। यह साबित करता है कि देश के गांवों में छिपे हुए ऐसे कितने ही हीरो हैं, जो अपनी मेहनत और लगन से देश की सेवा करने के लिए तैयार हैं।