आखिर क्यों 1 दिन में आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा आयोजित करना है मुश्किल?

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) से संबंधित प्रमुख बिंदु:

uppsc

1. पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा

  • प्रदेश के 75 जिलों में परीक्षा आयोजित करने के लिए 1748 केंद्रों की आवश्यकता थी।
  • आयोग को सख्त नीति के कारण केवल 978 केंद्र ही उपलब्ध हो सके।
  • 978 केंद्रों पर अधिकतम 435,074 अभ्यर्थियों की परीक्षा संभव है, जबकि पंजीकृत अभ्यर्थियों की संख्या 576,154 है

2. आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा

  • पंजीकृत अभ्यर्थियों की संख्या 1,076,004 है।
  • इस परीक्षा के लिए लगभग 2,387 केंद्रों की आवश्यकता होगी।
  • पहले 11 फरवरी को आयोजित यह परीक्षा पेपर लीक होने के कारण रद्द कर दी गई थी।

3. चुनौतियाँ और समस्याएँ

  • वर्तमान नियमों के तहत आयोग को 978 केंद्र ही मिल सकेंगे, जो पर्याप्त नहीं हैं।
  • आरओ/एआरओ परीक्षा एक दिन में आयोजित करना मुश्किल होगा।

4. समाधान की दिशा में कदम

  • समस्या के समाधान के लिए एक समिति का गठन किया गया है।
  • समिति की रिपोर्ट के आधार पर परीक्षा आयोजन की रणनीति तय की जाएगी।

5. अभ्यर्थियों का इंतजार

  • आयोग के निर्णय का अभ्यर्थियों को इंतजार है कि परीक्षा कैसे और कब आयोजित होगी।

दो दिन की परीक्षा के संभावित नुकसान (अभ्यर्थियों के अनुसार):

1. परीक्षा में अनिश्चितता:

  • अधिक प्रश्न हल करने के बावजूद बाहर होने की आशंका बनी रहेगी।
  • कम प्रश्न करने पर भी क्वालिफाई होने की संभावना हो सकती है।

2. प्रश्न पत्र की त्रुटियाँ:

  • आयोग के इतिहास में हर प्रश्न पत्र में 8-10 प्रश्न गलत या विवादित पाए जाते हैं।
  • नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया स्थिति को और जटिल बना सकती है।

3. पेपर लीक का खतरा:

  • दो दिन और तीन शिफ्ट में परीक्षा होने पर हर शिफ्ट में पेपर लीक होने की संभावना बढ़ जाएगी।

4. अतिरिक्त खर्च और संसाधन:

  • परीक्षा का खर्च और आवश्यक संसाधन कई गुना बढ़ जाएंगे।
  • इससे राजकीय कोष पर अतिरिक्त भार पड़ेगा।

5. अधिकारी-कर्मचारियों का दबाव:

  • परीक्षा आयोजन में अधिकारियों और कर्मचारियों को कई दिनों तक व्यस्त रहना पड़ेगा।
  • प्रशासन पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।

6. शिक्षा पर प्रभाव:

  • जिन विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाया जाएगा, वहां परीक्षा के कारण लाखों बच्चों की पढ़ाई बाधित होगी।

7. पेपर आउट का खतरा:

  • प्रिंटिंग प्रेस से पेपर लीक होने का खतरा बढ़ जाएगा।

एक दिन में परीक्षा आयोजित करने के फायदे:

1. प्रशासनिक समन्वय:

  • प्रशासन पूरी ऊर्जा और तालमेल के साथ नकल रहित और शुचिता पूर्ण परीक्षा आयोजित कर सकेगा।

2. खर्च में बचत:

  • सरकार, आयोग, और प्रशासन का लाखों रुपए का सरकारी खर्च बचेगा।

3. परीक्षा केंद्रों की उपलब्धता:

  • 75 जिलों में आयोग को केंद्र उपलब्ध हो सकेंगे।
  • अन्य परीक्षाओं में भी इस मॉडल का लाभ मिलेगा।

अभ्यर्थियों के सुझाव:

1. परीक्षा केंद्रों का विस्तार:

  • सभी विश्वविद्यालय, महाविद्यालय, इंजीनियरिंग कॉलेज (सरकारी एवं निजी), पॉलिटेक्निक, आईटीआई, और मेडिकल कॉलेज को परीक्षा केंद्र बनाया जाए।

2. निजी शिक्षण संस्थानों का उपयोग:

  • निजी शिक्षण संस्थानों में परीक्षा के दौरान सरकारी कर्मचारियों की तैनाती सुनिश्चित की जाए।

3. निजी क्षेत्र की भागीदारी:

  • जब ट्रिपल-पी मॉडल पर निजी क्षेत्र को सैटेलाइट, जहाज, और रेल जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में शामिल किया जा सकता है, तो परीक्षा के लिए निजी स्कूलों का उपयोग भी संभव होना चाहिए।

4. प्रशासनिक प्रबंधन की मजबूती:

  • उत्तर प्रदेश की 25 करोड़ की आबादी में मात्र 1% यानी 25 लाख परीक्षार्थियों को एक दिन में परीक्षा देने की व्यवस्था करना प्रशासनिक दक्षता को दर्शाएगा।