हरित क्रांति और ऑपरेशन फ्लड:
भारत की आर्थिक और सामाजिक प्रगति में हरित क्रांति और ऑपरेशन फ्लड (श्वेत क्रांति) ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ये दोनों पहल भारत की पंचवर्षीय योजनाओं का हिस्सा थीं और इन्होंने देश को खाद्य आत्मनिर्भरता और डेयरी उत्पादन में विश्व नेता बनाया। यह ब्लॉग पोस्ट यूपीएससी, एसएससी, और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए हरित क्रांति और ऑपरेशन फ्लड के विस्तृत विवरण और 20 बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) प्रदान करता है।
हरित क्रांति: एक परिचय
हरित क्रांति (Green Revolution) भारत में 1960 के दशक में शुरू हुई एक कृषि क्रांति थी, जिसका उद्देश्य खाद्य उत्पादन, विशेष रूप से गेहूं और चावल की पैदावार को बढ़ाना था। यह तृतीय पंचवर्षीय योजना (1961-1966) और योजना अवकाश (1966-1969) के दौरान शुरू हुई। हरित क्रांति ने भारत को खाद्य आयात पर निर्भरता से मुक्त कर खाद्य आत्मनिर्भरता की ओर ले जाया।
हरित क्रांति की पृष्ठभूमि
समय: 1960 के दशक, विशेष रूप से 1965-1970।
प्रमुख कारण: 1960 के दशक में भारत में भयंकर सूखा और खाद्य संकट था। जनसंख्या वृद्धि के कारण खाद्य मांग बढ़ रही थी, लेकिन उत्पादन अपर्याप्त था।
प्रमुख क्षेत्र: पंजाब, हरियाणा, और पश्चिमी उत्तर प्रदेश।
हरित क्रांति के प्रमुख तत्व
उच्च उपज वाली किस्में (HYV Seeds):
- गेहूं और चावल की नई किस्में, जैसे गेहूं की मैक्सिकन किस्में (डॉ. नॉर्मन बोरलॉग द्वारा विकसित) और चावल की IR-8 किस्में, शुरू की गईं।
- ये बीज अधिक उत्पादन देते थे, लेकिन इनके लिए पर्याप्त सिंचाई और उर्वरक आवश्यक थे।
सिंचाई सुविधाओं का विस्तार:
- नहरें, ट्यूबवेल, और बांध (जैसे भाखड़ा नंगल) विकसित किए गए।
- ट्यूबवेल ने भूजल का उपयोग बढ़ाया, जिससे वर्षा पर निर्भरता कम हुई।
रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग:
- नाइट्रोजन, फॉस्फेट, और पोटाश आधारित उर्वरकों का उपयोग बढ़ा।
- कीटनाशकों ने फसलों को कीटों और रोगों से बचाया।
आधुनिक कृषि तकनीक:
- ट्रैक्टर, हार्वेस्टर, और अन्य मशीनों का उपयोग शुरू हुआ।
- कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को प्रशिक्षित किया।
वित्तीय सहायता:
- बैंकों (विशेष रूप से 1969 के राष्ट्रीयकरण के बाद) और सहकारी समितियों ने किसानों को सस्ते ऋण दिए।
हरित क्रांति के प्रमुख व्यक्तित्व
डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन: भारत में हरित क्रांति के जनक। उन्होंने HYV बीजों को भारतीय मिट्टी के अनुकूल बनाया।
डॉ. नॉर्मन बोरलॉग: विश्व स्तर पर हरित क्रांति के जनक। उन्हें 1970 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला।
सी. सुब्रमण्यम: तत्कालीन कृषि मंत्री, जिन्होंने नीतिगत समर्थन दिया।
हरित क्रांति की उपलब्धियाँ
खाद्य उत्पादन में वृद्धि:
- गेहूं उत्पादन 1960 के दशक में 12 मिलियन टन से बढ़कर 1970 के दशक में 26 मिलियन टन हो गया।
- चावल उत्पादन में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
खाद्य आत्मनिर्भरता:
- भारत ने PL-480 (अमेरिकी खाद्य आयात) पर निर्भरता समाप्त की।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार:
- किसानों की आय बढ़ी, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में समृद्धि आई।
कृषि अनुसंधान का विकास:
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और कृषि विश्वविद्यालयों की भूमिका बढ़ी।
हरित क्रांति की कमियाँ
क्षेत्रीय असमानता:
- लाभ मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, और पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक सीमित रहा। बिहार, ओडिशा जैसे क्षेत्र पिछड़ गए।
सामाजिक असमानता:
- बड़े और मध्यम किसानों को अधिक लाभ हुआ, छोटे और सीमांत किसान पीछे रह गए।
पर्यावरणीय प्रभाव:
- अत्यधिक उर्वरक और कीटनाशक उपयोग से मिट्टी की उर्वरता और जल प्रदूषण बढ़ा।
- भूजल स्तर में कमी आई।
फसल असंतुलन:
- गेहूं और चावल पर अधिक ध्यान देने से दालें, तिलहन, और मोटे अनाज उपेक्षित रहे।
ऑपरेशन फ्लड: एक परिचय
ऑपरेशन फ्लड (Operation Flood), जिसे श्वेत क्रांति (White Revolution) भी कहा जाता है, भारत में डेयरी उद्योग को बढ़ावा देने वाला एक अभियान था। इसने भारत को दूध उत्पादन में विश्व का सबसे बड़ा देश बनाया। यह चतुर्थ पंचवर्षीय योजना (1969-1974) में शुरू हुआ और तीन चरणों में लागू किया गया।
ऑपरेशन फ्लड की पृष्ठभूमि
समय: 1970 से 1996 (तीन चरण)।
प्रमुख कारण: भारत में दूध की कमी थी, और आयात पर निर्भरता थी। ग्रामीण क्षेत्रों में डेयरी किसानों को उचित मूल्य नहीं मिलता था।
प्रमुख संगठन: राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB)।
प्रमुख मॉडल: अमूल मॉडल (गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ)।
ऑपरेशन फ्लड के चरण
प्रथम चरण (1970-1980):
- 18 प्रमुख शहरों में दूध आपूर्ति सुनिश्चित की गई।
- विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) से प्राप्त दूध पाउडर और मक्खन तेल का उपयोग हुआ।
- सहकारी समितियों का गठन शुरू हुआ।
द्वितीय चरण (1981-1985):
- सहकारी समितियों की संख्या बढ़कर 43,000 हो गई।
- दूध उत्पादन 1980 के 22 मिलियन टन से बढ़कर 38 मिलियन टन हुआ।
तृतीय चरण (1985-1996):
- डेयरी बुनियादी ढांचे का विस्तार हुआ।
- 1998 में भारत विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बना।
ऑपरेशन फ्लड के प्रमुख तत्व
अमूल मॉडल:
- तीन-स्तरीय सहकारी संरचना: गाँव स्तर (दुग्ध उत्पादक समितियाँ), जिला स्तर (दुग्ध संघ), और राज्य स्तर (दुग्ध विपणन संघ)।
- किसानों को सीधे उपभोक्ताओं से जोड़ा गया, जिससे बिचौलियों की भूमिका समाप्त हुई।
डेयरी बुनियादी ढांचा:
- दूध संग्रह केंद्र, चिलिंग प्लांट, और प्रसंस्करण इकाइयाँ स्थापित की गईं।
पशुपालन में सुधार:
- कृत्रिम गर्भाधान और पशु स्वास्थ्य सेवाएँ शुरू की गईं।
वित्तीय सहायता:
- NDDB और बैंकों ने सहकारी समितियों को ऋण और अनुदान दिए।
बाजार विस्तार:
- अमूल, मधुर, और अन्य ब्रांडों के माध्यम से दूध और डेयरी उत्पादों की मार्केटिंग हुई।
- ऑपरेशन फ्लड के प्रमुख व्यक्तित्व
डॉ. वर्गीज कुरियन: ऑपरेशन फ्लड के जनक और “भारत का दुग्ध पुरुष”। उन्होंने NDDB और अमूल की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
त्रिभुवन दास पटेल: अमूल के संस्थापक, जिन्होंने सहकारी डेयरी मॉडल शुरू किया।
ऑपरेशन फ्लड की उपलब्धियाँ
दूध उत्पादन में वृद्धि:
- 1970 में 22 मिलियन टन से 1998 में 70 मिलियन टन से अधिक।
- भारत 1998 में विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक बना।
ग्रामीण सशक्तिकरण:
- लाखों ग्रामीण किसानों, विशेष रूप से महिलाओं, को रोजगार और आय का स्रोत मिला।
आयात पर निर्भरता समाप्त:
- भारत दूध और डेयरी उत्पादों में आत्मनिर्भर हो गया।
सहकारी मॉडल का प्रसार:
- अमूल मॉडल अन्य राज्यों में लागू हुआ, जैसे मध्य प्रदेश (सांची), कर्नाटक (नंदिनी)।
ऑपरेशन फ्लड की कमियाँ
- क्षेत्रीय असमानता:
- गुजरात, उत्तर प्रदेश, और पंजाब जैसे राज्यों को अधिक लाभ हुआ, जबकि पूर्वी और उत्तर-पूर्वी राज्य पीछे रह गए।
गुणवत्ता संबंधी मुद्दे:
- कुछ क्षेत्रों में दूध की गुणवत्ता और प्रसंस्करण में कमी थी।
पशु स्वास्थ्य चुनौतियाँ:
- कृत्रिम गर्भाधान और पशु स्वास्थ्य सेवाएँ सभी क्षेत्रों में समान रूप से उपलब्ध नहीं थीं।
बाजार प्रतिस्पर्धा:
- निजी डेयरी कंपनियों के उदय से सहकारी समितियों को प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा।
हरित क्रांति और ऑपरेशन फ्लड की तुलना
विशेषता | हरित क्रांति | ऑपरेशन फ्लड |
---|---|---|
समय | 1960 के दशक | 1970-1996 |
उद्देश्य | खाद्य उत्पादन (गेहूं, चावल) बढ़ाना | दूध उत्पादन बढ़ाना |
प्रमुख क्षेत्र | पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश | गुजरात, उत्तर प्रदेश, पंजाब |
प्रमुख व्यक्तित्व | डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन, नॉर्मन बोरलॉग | डॉ. वर्गीज कुरियन, त्रिभुवन दास पटेल |
मॉडल | HYV बीज, सिंचाई, उर्वरक | अमूल मॉडल (सहकारी संरचना) |
परिणाम | खाद्य आत्मनिर्भरता | दूध उत्पादन में विश्व नेतृत्व |
कमियाँ | क्षेत्रीय और सामाजिक असमानता, पर्यावरणीय प्रभाव | क्षेत्रीय असमानता, गुणवत्ता मुद्दे |