बैंकों का राष्ट्रीयकरण: नोट्स एवं प्रैक्टिस क्विज
राष्ट्रीयकरण का अर्थ: बैंकों का राष्ट्रीयकरण सरकार द्वारा निजी बैंकों को अपने नियंत्रण में लेने की प्रक्रिया है, ताकि बैंकिंग सेवाएं सार्वजनिक हित में उपयोग हो सकें।
उद्देश्य: सामाजिक और आर्थिक विकास, गरीबी उन्मूलन, ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं का विस्तार, और निजी बैंकों के एकाधिकार को कम करना।
भारत में बैंकों के राष्ट्रीयकरण का इतिहास
प्रथम चरण (1969):
तारीख: 19 जुलाई 1969
प्रधानमंत्री: श्रीमती इंदिरा गांधी
राष्ट्रीयकृत बैंक: 14 प्रमुख वाणिज्यिक बैंक, जिनके पास 50 करोड़ रुपये से अधिक की जमा राशि थी।
उद्देश्य:
ग्रामीण और कृषि क्षेत्रों में ऋण वितरण बढ़ाना।
सामाजिक बैंकिंग को बढ़ावा देना।
निजी बैंकों के दुरुपयोग को रोकना।
प्रभाव: बैंकिंग क्षेत्र का 80% से अधिक हिस्सा सरकार के नियंत्रण में आ गया।
द्वितीय चरण (1980):
तारीख: 15 अप्रैल 1980
प्रधानमंत्री: श्रीमती इंदिरा गांधी
राष्ट्रीयकृत बैंक: 6 और बैंक, जिनकी जमा राशि 200 करोड़ रुपये से अधिक थी।
उद्देश्य: बैंकिंग सेवाओं का और विस्तार, विशेष रूप से कमजोर वर्गों और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए।
प्रभाव: बैंकिंग क्षेत्र का लगभग 90% हिस्सा सार्वजनिक क्षेत्र में आ गया।
राष्ट्रीयकरण के प्रमुख उद्देश्य
आर्थिक समानता: समाज के कमजोर वर्गों जैसे किसानों, छोटे उद्यमियों और ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण सुविधा प्रदान करना।
प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (Priority Sector Lending): कृषि, लघु उद्योग, और अन्य कमजोर वर्गों को ऋण प्रदान करना।
वित्तीय समावेशन: ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं का विस्तार।
निजी एकाधिकार पर नियंत्रण: निजी बैंकों द्वारा धन के दुरुपयोग को रोकना।
राष्ट्रीय विकास: बुनियादी ढांचे और औद्योगिक विकास के लिए वित्त पोषण।
राष्ट्रीयकरण के लाभ
ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक शाखाओं की संख्या में वृद्धि।
प्राथमिकता क्षेत्रों को ऋण में वृद्धि (कृषि, लघु उद्योग, शिक्षा आदि)।
वित्तीय समावेशन और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा।
अर्थव्यवस्था में सरकार का नियंत्रण बढ़ा।
राष्ट्रीयकरण की कमियां
दक्षता में कमी: सरकारी बैंकों में नौकरशाही और धीमी निर्णय प्रक्रिया।
गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) में वृद्धि।
निजी क्षेत्र की तुलना में कम नवाचार।
कर्मचारियों की जवाबदेही में कमी।
महत्वपूर्ण तथ्य
भारतीय स्टेट बैंक (SBI): इसे 1955 में राष्ट्रीयकृत किया गया था (पहले इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया)।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI): 1949 में राष्ट्रीयकृत।
लीड बैंक योजना: 1969 में शुरू, ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं के विस्तार के लिए।
नाबार्ड (NABARD): 1982 में स्थापित, राष्ट्रीयकरण के बाद ग्रामीण विकास के लिए।
राष्ट्रीयकरण के बाद सुधार
1991 के आर्थिक सुधार: बैंकों को अधिक स्वायत्तता और निजीकरण की शुरुआत।
नरसिम्हम समिति (1991, 1998): बैंकिंग क्षेत्र में सुधारों की सिफारिश, जैसे पूंजी पर्याप्तता, NPA में कमी।
बैंक विलय: 2019-2020 में कई सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय (उदाहरण: पंजाब नेशनल बैंक के साथ ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स का विलय)।