🔷 विशेषण(Adjective) 🔷
👉 जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम शब्द की विशेषता बताते है उन्हें विशेषण कहते है।
जैसे– यह भूरी गाय है, आम खट्टे है।
उपयुक्त वाक्यों में ‘भूरी’ और ‘खट्टे’ शब्द गाय और आम (संज्ञा )की विशेषता बता रहे है। इसलिए ये शब्द विशेषण है।
🔷 विशेष्य– विशेषण से जिस शब्द की विशेषता प्रकट की जाती है, उसे विशेष्य कहते है।
जैसे– ‘अच्छा विद्यार्थी पिता की आज्ञा का पालन करता है’ में ‘विद्यार्थी’ विशेष्य है, क्योंकि ‘अच्छा’ विशेषण इसी की विशेषता बताता है।
🔷 प्रविशेषण– जो शब्द विशेषण की विशेषता बताते है, वे प्रविशेषण कहलाते है।
जैसे- यह लड़की बहुत अच्छी है।
मै पूर्ण स्वस्थ हुँ।
उपर्युक्त वाक्य में ‘बहुत’ ‘पूर्ण’ शब्द ‘अच्छी’ तथा ‘स्वस्थ’ (विशेषण )की विशेषता बता रहे है, इसलिए ये शब्द प्रविशेषण है।
🔶विशेषण के प्रकार🔶
विशेषण निम्नलिखित पाँच प्रकार होते है –
(1)गुणवाचक विशेषण (Qualitative Adjective)
(2)संख्यावाचक विशेषण ((Numeral Adjective)
(3)परिमाणवाचक विशेषण (Quantitative Adjective)
(4)संकेतवाचक या सार्वनामिक विशेषण (Demonstrative Adjective)
(5)व्यक्तिवाचक विशेषण (Proper Adjective)
(6)संबंधवाचक विशेषण(Relative Adjective)
(1)गुणवाचक विशेषण :- वे विशेषण शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम शब्द के गुण-दोष, रूप-रंग, आकार, स्वाद, दशा, अवस्था, स्थान आदि की विशेषता प्रकट करते हैं, गुणवाचक विशेषण कहलाते है।
जैसे-
गुण- वह एक अच्छा आदमी है।
रंग- काला टोपी, लाल रुमाल।
आकार- उसका चेहरा गोल है।
अवस्था- भूखे पेट भजन नहीं होता।
गुणवाचक विशेषण में विशेष्य के साथ कैसा/कैसी लगाकर प्रश्न करने पर उत्तर प्राप्त किया जाता है, जो विशेषण होता है।
विशेषणों में इनकी संख्या सबसे अधिक है। इनके कुछ मुख्य रूप इस प्रकार हैं।
गुण- भला, उचित, अच्छा, ईमानदार, सरल, विनम्र, बुद्धिमानी, सच्चा, दानी, न्यायी, सीधा, शान्त आदि।
दोष बुरा, अनुचित, झूठा, क्रूर, कठोर, घमंडी, बेईमान, पापी, दुष्ट आदि।
रूप/रंग- लाल, पीला, नीला, हरा, सफेद, काला, बैंगनी, सुनहरा, चमकीला, धुँधला, फीका।
आकार– गोल, चौकोर, सुडौल, समान, पीला, सुन्दर, नुकीला, लम्बा, चौड़ा, सीधा, तिरछा, बड़ा, छोटा, चपटा, ऊँचा, मोटा, पतला आदि।
स्वाद- मीठा, कड़वा, नमकीन, तीखा, खट्टा, सुगंधित आदि।
दशा/अवस्था– दुबला, पतला, मोटा, भारी, पिघला, गाढ़ा, गीला, सूखा, घना, गरीब, उद्यमी, पालतू, रोगी, स्वस्थ, कमजोर, हल्का, बूढ़ा आदि।
स्थान– उजाड़, चौरस, भीतरी, बाहरी, उपरी, सतही, पूरबी, पछियाँ, दायाँ, बायाँ, स्थानीय, देशीय, क्षेत्रीय, असमी, पंजाबी, अमेरिकी, भारतीय, विदेशी, ग्रामीण आदि।
काल– नया, पुराना, ताजा, भूत, वर्तमान, भविष्य, प्राचीन, अगला, पिछला, मौसमी, आगामी, टिकाऊ, नवीन, सायंकालीन, आधुनिक, वार्षिक, मासिक आदि।
स्थिति/दिशा– निचला, ऊपरी, उत्तरी, पूर्वी आदि।
स्पर्श– मुलायम, सख्त, ठंड, गर्म, कोमल, ख़ुरदरा आदि।
स्वभाव- चिड़चिड़ा, मिलनसार आदि।
गंध– सुगंधित, दुर्गंधपूर्ण आदि।
व्यवसाय– व्यापारी, औद्योगिक, शौक्षणिक, प्राविधिक आदि।
पदार्थ– सूती, रेशमी, ऊनी, कागजी, फौलादी, लौह आदि।
समय– अगला, पिछला, बौद्धकालीन, प्रागैतिहासिक, नजदीकी आदि।
तापमान– ठंडा, गरम, कुनकुना आदि।
ध्वनि– मधुर, कर्कश आदि।
भार– हल्का, भारी आदि।
द्रष्टव्य– गुणवाचक विशेषणों में ‘सा’ सादृश्यवाचक पद जोड़कर गुणों को कम भी किया जाता है। जैसे- बड़ा-सा, ऊँची-सी, पीला-सा, छोटी-सी।
(2)संख्यावाचक विशेषण:- वे विशेषण शब्द जो संज्ञा अथवा सर्वनाम की संख्या का बोध कराते हैं, संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं।
जैसे-
‘पाँच’ घोड़े दौड़ते हैं।
सात विद्यार्थी पढ़ते हैं।
इन वाक्यों में ‘पाँच’ और ‘सात’ संख्यावाचक विशेषण हैं, क्योंकि इनसे ‘घोड़े’ और ‘विद्यार्थी’ की संख्या संबंधी विशेषता का ज्ञान होता है।
👉संख्यावाचक विशेषण के भेद
संख्यावाचक विशेषण के दो भेद होते है-
(i)निश्चित संख्यावाचक विशेषण
(ii)अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण
(i)निश्चित संख्यावाचक विशेषण :- जिससे किसी निश्र्चित संख्या का ज्ञान हो, वह निश्चित संख्यावाचक विशेषण है।
जैसे- एक, दो आठ, चौगुना, सातवाँ आदि।
अन्य उदाहरण-
मेरी कक्षा में चालीस छात्र हैं।
कमरे में एक पंखा घूम रहा है।
👉प्रयोग के अनुसार निश्चित संख्यावाचक विशेषण के निम्नलिखित प्रकार हैं-
(क) गणनावाचक विशेषण– जो विशेषण गिनती या गणना का बोध कराएँ।
जैसे- एक, दो, दस, बीस आदि।
(ख) क्रमवाचक विशेषण– वे विशेषण जो वस्तुओं या व्यक्तियों के क्रम (order) का बोध कराएँ।
जैसे- पाँचवाँ, बीसवाँ आदि।
(ग) आवृत्तिवाचक विशेषण– जो विशेषण संख्या के गुणन का बोध कराएँ।
जैसे- दुगने छात्र, ढाई गुना लाभ आदि।
(घ) संग्रहवाचक विशेषण– यह अपने विशेष्य की सभी इकाइयों का संग्रह बतलाता है।
जैसे- चारो आदमी, आठो पुस्तकें आदि।
(ड़) समुदायवाचक विशेषण- यह वस्तुओं की सामुदायिक संख्या को व्यक्त करता है।
जैसे- एक जोड़ी चप्पल, पाँच दर्जन कॉपियाँ आदि।
(च) वीप्सावाचक विशेषण– व्यापकता का बोध करानेवाली संख्या को वीप्सावाचक कहते हैं।
यह दो प्रकार से बनती है- संख्या के पूर्व प्रति, फी, हर, प्रत्येक इनमें से किसी के पूर्व प्रयोग
से या संख्या के द्वित्व से।
जैसे- प्रत्येक तीन घंटों पर यहाँ से एक गाड़ी खुलती है।
पाँच-पाँच छात्रों के लिए एक कमरा है।
(ii)अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण :- जिस विशेषण से संख्या निश्चित रूप से नहीं जानी जा सके, वह अनिश्चित विशेषण है।
जैसे- कई, कुछ, सब, थोड़, सैकड़ों, अरबों आदि।
अन्य उदाहरण-
बम के भय से कुछ लोग बेहोश हो गए।
कक्षा में बहुत कम छात्र उपस्थित थे।
कुछ फल खाकर ही मेरी भूख मिट गई।
कुछ देर बाद हम चले जाएँगे।
(3)परिमाणवाचक विशेषण :- जिन विशेषण शब्दों से किसी वस्तु के माप-तौल संबंधी विशेषता का बोध होता है, वे परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं।
जैसे- ‘सेर’ भर दूध, ‘तोला’ भर सोना, ‘थोड़ा’ पानी, ‘कुछ’ पानी, ‘सब’ धन, ‘और’ घी लाओ, ‘दो’ लीटर दूध, ‘बहुत’ चीनी इत्यादि।
इस विशेषण का एकमात्र विशेष्य द्रव्यवाचक संज्ञा है।
👉परिमाणवाचक विशेषण के भेद
परिमाणवाचक विशेषण के दो भेद होते है-
(i) निश्चित परिमाणवाचक
(ii)अनिश्चित परिमाणवाचक
(i) निश्चित परिमाणवाचक:– जो विशेषण शब्द किसी वस्तु की निश्चित मात्रा अथवा माप-तौल का बोध कराते हैं, वे निश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहलाते है।
जैसे- ‘दो सेर’ घी, ‘दस हाथ’ जगह, ‘चार गज’ मलमल, ‘चार किलो’ चावल।
(ii)अनिश्चित परिमाणवाचक :- जो विशेषण शब्द किसी वस्तु की निश्चित मात्रा अथवा माप-तौल का बोध नहीं कराते हैं, वे अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहलाते है।
जैसे- ‘सब’ धन, ‘कुछ’ दूध, ‘बहुत’ पानी।
(4)संकेतवाचक या सार्वनामिक विशेषण :- वे सर्वनाम जो संज्ञा से पूर्व प्रयुक्त होकर उसकी ओर संकेत करते हुए विशेषण के रूप में प्रयुक्त होते हैं, ‘संकेतवाचक विशेषण’ कहलाते हैं।
जैसे- वह गाय दूध देती है।
यह पुस्तक मेरी है।
ये लड़के, कोई स्त्री, कौन-सा फूल, वे कुर्सियाँ आदि में ये, कोई, कौन-सा, वे- सार्वनामिक विशेषण हैं।
👉सार्वनामिक विशेषण के भेद
व्युत्पत्ति के अनुसार सार्वनामिक विशेषण के भी दो भेद है-
(i) मौलिक सार्वनामिक विशेषण
(ii) यौगिक सार्वनामिक विशेषण
(i) मौलिक सार्वनामिक विशेषण– जो बिना रूपान्तर के संज्ञा के पहले आता हैं।
जैसे- ‘यह’ घर; वह लड़का; ‘कोई’ नौकर इत्यादि।
(ii) यौगिक सार्वनामिक विशेषण– जो मूल सर्वनामों में प्रत्यय लगाने से बनते हैं।
जैसे- ‘ऐसा’ आदमी; ‘कैसा’ घर; ‘जैसा’ देश इत्यादि।
(5)व्यक्तिवाचक विशेषण:-जिन विशेषण शब्दों की रचना व्यक्तिवाचक संज्ञा से होती है, उन्हें व्यक्तिवाचक विशेषण कहते है।
जैसे- इलाहाबाद से इलाहाबादी
जयपुर से जयपुरी
बनारस से बनारसी
लखनऊ से लखनवी आदि।
उदाहरण- ‘इलाहाबादी‘ अमरूद मीठे होते है।
मुझे भारतीय खाना बहुत पसंद है।
(6)संबंधवाचक विशेषण:- जो विशेषण किसी वस्तु की विशेषताएँ दूसरी वस्तु के संबंध में बताता है, उन्हें संबंधवाचक विशेषण कहते हैं।
इस तरह के विशेषण संज्ञा, क्रियाविशेषण तथा क्रिया से बनते हैं। जैसे- ‘आनन्द’ से आनन्दमय (‘आनन्द’ संज्ञा से), बाहरी (‘बाहर’ क्रियाविशेषण से), खुला (‘खुलना’ क्रिया से)।
संबंधवाचक विशेषणों से सूचित होता है-
(क) वस्तु का लक्ष्य- जंगी जहाज। व्यापारी बेड़ा।
(ख) देश या जाति से संबंध- भारतीय, रूसी, बंगाली।
(ग) स्थान या वस्तु से संबंध- पहाड़ी, रेगिस्तानी, फौलादी, रेशमी, ऊनी, सूती आदि।
(घ) विज्ञान, राजनीति, सामाजिक जीवन आदि से संबंध- वैज्ञानिक, भौतिक, गाणितिक, राजनीतिक, सामाजिक आदि।
🔷विशेषण शब्दों की रचना🔷
हिंदी भाषा में विशेषण शब्दों की रचना संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, अव्यय आदि शब्दों के साथ उपसर्ग, प्रत्यय आदि लगाकर की जाती है।
👉संज्ञा से विशेषण शब्दों की रचना
संज्ञा | विशेषण | संज्ञा | विशेषण |
---|---|---|---|
कथन | कथित | राधा | राधेय |
तुंद | तुंदिल | गंगा | गांगेय |
धन | धनवान | दीक्षा | दीक्षित |
नियम | नियमित | निषेध | निषिद्ध |
प्रसंग | प्रासंगिक | पर्वत | पर्वतीय |
प्रदेश | प्रादेशिक | प्रकृति | प्राकृतिक |
बुद्ध | बौद्ध | भूमि | भौमिक |
मृत्यु | मर्त्य | मुख | मौखिक |
रसायन | रासायनिक | राजनीति | राजनीतिक |
लघु | लाघव | लोभ | लुब्ध/लोभी |
वन | वन्य | श्रद्धा | श्रद्धेय/श्रद्धालु |
संसार | सांसारिक | सभा | सभ्य |
उपयोग | उपयोगी/उपयुक्त | अग्नि | आग्नेय |
आदर | आदरणीय | अणु | आणविक |
अर्थ | आर्थिक | आशा | आशित/आशान्वित/आशावानी |
ईश्वर | ईश्वरीय | इच्छा | ऐच्छिक |
इच्छा | ऐच्छिक | उदय | उदित |
उन्नति | उन्नत | कर्म | कर्मठ/कर्मी/कर्मण्य |
क्रोध | क्रोधालु, क्रोधी | गृहस्थ | गार्हस्थ्य |
गुण | गुणवान/गुणी | घर | घरेलू |
चिंता | चिंत्य/चिंतनीय/चिंतित | जल | जलीय |
जागरण | जागरित/जाग्रत | तिरस्कार | तिरस्कृत |
दया | दयालु | दर्शन | दार्शनिक |
धर्म | धार्मिक | कुंती | कौंतेय |
समर | सामरिक | पुरस्कार | पुरस्कृत |
नगर | नागरिक | चयन | चयनित |
निंदा | निंद्य/निंदनीय | निश्र्चय | निश्चित |
परलोक | पारलौकिक | पुरुष | पौरुषेय |
पृथ्वी | पार्थिव | प्रमाण | प्रामाणिक |
बुद्धि | बौद्धिक | भूगोल | भौगोलिक |
मास | मासिक | माता | मातृक |
राष्ट्र | राष्ट्रीय | लोहा | लौह |
लाभ | लब्ध/लभ्य | वायु | वायव्य/वायवीय |
विवाह | वैवाहिक | शरीर | शारीरिक |
सूर्य | सौर/सौर्य | हृदय | हार्दिक |
क्षेत्र | क्षेत्रीय | आदि | आदिम |
आकर्षण | आकृष्ट | आयु | आयुष्मान |
अंत | अंतिम | इतिहास | ऐतिहासिक |
उत्कर्ष | उत्कृष्ट | उपकार | उपकृत/उपकारक |
उपेक्षा | उपेक्षित/उपेक्षणीय | काँटा | कँटीला |
ग्राम | ग्राम्य/ग्रामीण | ग्रहण | गृहीत/ग्राह्य |
गर्व | गर्वीला | घाव | घायल |
जटा | जटिल | जहर | जहरीला |
तत्त्व | तात्त्विक | देव | दैविक/दैवी |
दिन | दैनिक | दर्द | दर्दनाक |
विनता | वैनतेय | रक्त | रक्तिम |
👉सर्वनाम से विशेषण शब्दों की रचना
सर्वनाम | विशेषण | सर्वनाम | विशेषण |
---|---|---|---|
कोई | कोई-सा | जो | जैसा |
कौन | कैसा | वह | वैसा |
मैं | मेरा/मुझ-सा | हम | हमारा |
तुम | तुम्हारा | यह | ऐसा |
👉क्रिया से विशेषण शब्दों की रचना
क्रिया | विशेषण | क्रिया | विशेषण |
---|---|---|---|
भूलना | भुलक्क़ड़ | खेलना | खिलाड़ी |
पीना | पियक्कड़ | लड़ना | लड़ाकू |
अड़ना | अड़ियल | सड़ना | सड़ियल |
घटना | घटित | लूटना | लुटेरा |
पठ | पठित | रक्षा | रक्षक |
बेचना | बिकाऊ | कमाना | कमाऊ |
उड़ना | उड़ाकू | खाना | खाऊ |
पत् | पतित | मिलन | मिलनसार |
👉अव्यय से विशेषण शब्दों की रचना
अव्यय | विशेषण | अव्यय | विशेषण |
---|---|---|---|
ऊपर | ऊपरी | पीछे | पिछला |
नीचे | निचला | आगे | अगला |
भीतर | भीतरी | बाहर | बाहरी |
🔷विशेषण की अवस्थायें या तुलना (Degree of Comparison)🔷
जिन विशेषणों के द्वारा दो या अधिक विशेष्यों के गुण-अवगुण की तुलना की जाती है, उन्हें ‘तुलनाबोधक विशेषण’ कहते हैं।
तुलनात्मक दृष्टि से एक ही प्रकार की विशेषता बतानेवाले पदार्थों या व्यक्तियों में मात्रा का अन्तर होता है।
तुलना के विचार से विशेषणों की तीन अवस्थाएँ होती हैं-
(i)मूलावस्था (Positive Degree)
(ii)उत्तरावस्था (Comparative Degree)
(iii)उत्तमावस्था (Superlative Degree)
(i)मूलावस्था :-किसी व्यक्ति अथवा वस्तु के गुण-दोष बताने के लिए जब विशेषणों का प्रयोग किया जाता है, तब वह विशेषण की मूलावस्था कहलाती है।
जैसे-
कमल ‘सुंदर’ फूल होता है।
आसमान में ‘लाल’ पतंग उड़ रही है।
ऐश्वर्या राय ‘खूबसूरत’ हैं।
(ii)उत्तरावस्था :- जब दो व्यक्तियों या वस्तुओं के बीच अधिकता या न्यूनता की तुलना होती है, तब उसे विशेषण की उत्तरावस्था कहते हैं।
जैसे-
यह पुस्तक उस पुस्तक से मोटी है।
सीता गीता से अधिक सुन्दर लड़की है।
उत्तरावस्था में केवल तत्सम शब्दों में ‘तर’ प्रत्यय लगाया जाता है। जैसे-
सुन्दर + तर >सुन्दरतर
महत् + तर >महत्तर
लघु + तर >लघुतर
अधिक + तर >अधिकतर
दीर्घ + तर > दीर्घतर
(iii)उत्तमावस्था :- यह विशेषण की सर्वोत्तम अवस्था है। जब दो से अधिक व्यक्तियों या वस्तुओं के बीच तुलना की जाती है और उनमें से एक को श्रेष्ठता या निम्नता दी जाती है, तब विशेषण की उत्तमावस्था कहलाती है।
जैसे- कपिल सबसे या सबों में अच्छा है।
दीपू सबसे घटिया विचारवाला लड़का है।
तुम ‘सबसे सुन्दर’ हो।
हमारे कॉंलेज में नरेन्द्र ‘सबसे अच्छा’ खिलाड़ी है।
तत्सम शब्दों की उत्तमावस्था के लिए ‘तम’ प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसे-
सुन्दर + तम > सुन्दरतम
महत् + तम > महत्तम
लघु + तम > लघुतम
अधिक + तम > अधिकतम
श्रेष्ठ + तम > श्रेष्ठतम
🔷विशेषण की रूप रचना🔷
विशेषणों की रूप-रचना निम्नलिखित अवस्थाओं में मुख्यतः संज्ञा, सर्वनाम और क्रिया में प्रत्यय लगाकर होती है-
विशेषण की रचना पाँच प्रकार के शब्दों से होती है-
(1) व्यक्तिवाचक संज्ञा से– गाजीपुर से गाजीपुरी, मुरादाबाद से मुरादाबादी, गाँधीवाद से गाँधीवादी।
(2) जातिवाचक संज्ञा से– घर से घरेलू, पहाड़ से पहाड़ी, कागज से कागजी, ग्राम से ग्रामीण, शिक्षक से शिक्षकीय, परिवार से पारिवारिक।
(3) सर्वनाम से– यह से ऐसा (सार्वनामिक विशेषण), यह से इतने (संख्यावाचक विशेषण), यह से इतना (परिमाणवाचक विशेषण), जो से जैसे (प्रकारवाचक विशेषण), जितने (संख्यावाचक विशेषण), जितना (परिमाणवाचक विशेषण), वह से वैसा (सार्वनामिक विशेषण), उतने (संख्यावाचक विशेषण), उतना (परिमाणवाचक विशेषण)।
(4) भाववाचक संज्ञा से– भावना से भावुक, बनावट से बनावटी, एकता से एक, अनुराग से अनुरागी, गरमी से गरम, कृपा से कृपालु इत्यादि।
(5) क्रिया से– चलना से चालू, हँसना से हँसोड़, लड़ना से लड़ाकू, उड़ना से उड़छू, खेलना से खिलाड़ी, भागना से भगोड़ा, समझना से समझदार, पठ से पठित, कमाना से कमाऊ इत्यादि।
कुछ शब्द स्वंय विशेषण होते है और कुछ प्रत्यय लगाकर बनते है। जैसे –
(1)’ई’ प्रत्यय से = जापान-जापानी, गुण-गुणी, स्वदेशी, धनी, पापी।
(2) ‘ईय’ प्रत्यय से = जाति-जातीय, भारत-भारतीय, स्वर्गीय, राष्ट्रीय ।
(3)’इक’ प्रत्यय से = सप्ताह-साप्ताहिक, वर्ष-वार्षिक, नागरिक, सामाजिक।
(4)’इन’ प्रत्यय से = कुल-कुलीन, नमक-नमकीन, प्राचीन।
(5)’मान’ प्रत्यय से = गति-गतिमान, श्री-श्रीमान।
(6)’आलु’प्रत्यय से = कृपा -कृपालु, दया-दयालु ।
(7)’वान’ प्रत्यय से = बल-बलवान, धन-धनवान।
(8)’इत’ प्रत्यय से = नियम-नियमित, अपमान-अपमानित, आश्रित, चिन्तित ।
(9)’ईला’ प्रत्यय से = चमक-चमकीला, हठ-हठीला, फुर्ती-फुर्तीला।
🔷इन्हें भी देखें-⤵️
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कारक (Case) Karak सामान्य हिंदी अध्याय 9
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विशेषण-Vishehan (Adjective) सामान्य हिन्दी अध्याय-8
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सर्वनाम (pronoun) सामान्य हिन्दी अध्याय -7
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हिन्दी व्याकरण शब्द वाक्य प्रश्नोत्तरी 2
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Kal(काल) सामान्य हिंदी अध्याय -6
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Kriya(क्रिया) अध्याय 5
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हिंदी वर्णमाला प्रश्नोंत्तर
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संज्ञा(Noun) (अध्याय 4)
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वाक्य विचार (अध्याय 3)
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Shabad Vichar शब्द विचार (अध्याय- 2)
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हिंदी वर्णमाला hindi varnmala (अध्याय-1)
🔷सामान्य हिन्दी प्रैक्टिस सेट-⤵️
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UP VDO General Hindi Practice Set 3
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UP VDO General Hindi Practice Set 2
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UP VDO General Hindi Practice Set 1
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सर्वनाम (Pronoun) प्रश्नोत्तरी
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Samanya Hindi Practice Set-sangya (संज्ञा)
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Samanya Hindi Practice Set 16 (For upsssc, up police, uppsc)
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Samanya Hindi Practice Set 15 (For upsssc, up police, uppsc)
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Samanya Hindi Practice Set 14 (For upsssc, up police, uppsc)
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Samanya Hindi Practice Set 13 (For upsssc, up police, uppsc)
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Samanya Hindi Practice Set 12 (For upsssc, up police, uppsc)
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Samanya Hindi Practice Set 11 (For upsssc, up police, uppsc)
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Samanya Hindi Practice Set 10 (For upsssc, up police, uppsc)
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Samanya Hindi Practice Set 9 (For upsssc, up police, uppsc)
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Samanya Hindi Practice Set 8 (For upsssc, up police, uppsc)
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Samanya Hindi Practice Set 7 (For upsssc, up police, uppsc)
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Samanya Hindi Practice Set 6 (For upsssc, up police, uppsc)
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Samanya Hindi Practice Set 5 (For upsssc, up police, uppsc)
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Samanya Hindi Practice Set 4 (For upsssc, up police, uppsc)
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Samanya Hindi Practice Set 3 (For upsssc, up police, uppsc)
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Samanya Hindi Practice Set 2 (For upsssc, up police, uppsc)